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भगवान राम और केवट प्रसंग

दोस्तों वाल्मीकि जी के द्वारा रचित महाकाव्य रामायण हमें जीवन में बहुत कुछ सिखाती है, रामायण का हर एक अंश और इसका हर एक प्रसंग, हमें जीवन में कुछ ना कुछ सीखाता है, दोस्तों रामायण में हमें एक शख्स का बहुत ही अच्छे तरह से वर्णन देखने को मिला है, वह है केवट, जो की राम जी का बहुत बड़ा भक्त था, और जिसने राम वनवास के दौरान श्री राम जी को गंगा पार करवाई थी। तो दोस्तों आज हम आपको रामायण के इसी प्रसंग के बारे में बताने वाले हैं, जिससे कि आपको यह पता चलने वाला है की भक्ति क्या होती है? तो चलिए बिना किसी देरी के आगे बढ़ते है 

केवट कौन था?

 दोस्तों वैसे तो आपको रामायण में कई पात्र देखने को मिले थे, लेकिन उनमें से केवट का व्यक्तित्व हमें रामायण में एक अलग ही प्रकार से देखने को मिला है, अगर बात करें की केवट कौन था, तो हम आपको बता दें कि केवट भोईवंश से ताल्लुक रखता था, जो की एक मल्लाह यानी कि नाविक का कार्य करता था। श्री राम चालीसा भगवान राम जी की स्तुति करने का एक अनोखा तरीका है। वह भगवान राम का परम भक्त था, जिसने की भगवान राम को उनके वनवास के दौरान लक्ष्मण और माता सीता के साथ गंगा नदी को पार करवाया था। तो चलिए इस प्रसंग के बारे में जानते हैं।

भगवान राम के सामने रखी शर्त

दोस्तों यह बात राम जी के वनवास के समय की है, जब वनवास के दौरान उनके रास्ते में गंगा नदी आ पड़ी, जिसे पार करने के लिए राम जी ने केवट को आवाज लगाकर नाव लाने के लिए कहा। राम जी के कहने पर केवट ने कहा कि मैं आप सभी को इस नाव में नहीं बैठने दे सकता।

 

जब राम जी ने केवट के इस प्रश्न का कारण पूछा, तो केवट ने कहा कि मैं आपके इन चरणों की सारी महिमा को जानता हूं, इसमें इतनी ज्यादा शक्ति है जिससे कि एक पत्थर भी सुंदर नारी बन गई, तो आपके पैर रखने पर भला मेरे इस लकड़ी के नाव का क्या हाल होगा।

 

इसके बाद भगवान श्री राम ने जब कहा कि इसका कोई तो उपाय होगा, तब केवट ने कहा कि इसका एक उपाय है, की नदी पार करने से पहले आपको अपने चरण धुलवाने होंगे, इसके बाद में उस चरण के पानी को पीकर देखूंगा, अगर मुझमें कोई असर नहीं हुआ, तभी मैं आपको नदी पर करवाऊंगा। इतना सुनने के बाद भगवान श्री राम जान चुके थे कि केवट उनके भक्त है, जो कि सिर्फ और सिर्फ उनकी भक्ति करके चरणामृत ग्रहण करना चाहते है, जिसके वजह से उन्होंने मुस्कुरा कर हां कर दी।

 

इसके बाद केवट ने भगवान श्री राम के चरणों को गंगाजल से धोया, और उसके बाद चरणामृत को ग्रहण किया, और राम सहित भगवान लक्ष्मण और माता सीता को भी अपने नाव में बिठाकर गंगा नदी पार कार्रवाई।

माता सीता ने केवट को दी अपनी अंगूठी

दोस्तों कहां जाता है कि जब केवट ने राम लक्ष्मण और माता सीता को नदी पर कार्रवाई, तो उसके बाद जब राम जी ने केवट से नाव के उतराई यानी कि किराए के बारे में पूछा, तो केवट ने भगवान राम से कहा कि मैने आपको गंगा नदी पार करवाया है, इसके बदले जब मेरी मृत्यु होगी तब आप मुझे भवसागर से पार करवा दीजिएगा। यह सब सुनकर राम जी बहुत ही ज्यादा भावुक हो गए थे, इसके बाद उन्होंने केवट को अपने गले लगा लिया। इतना ही नहीं, कहा जाता है कि उस समय राम जी के पास केवट को देने के लिए कुछ नहीं था, जिसके वजह से माता सीता ने अपनी अंगूठी निकालकर केवट को उतराई के तौर पर दे दी थी।

भगवान श्री राम के स्पर्श से पत्थर स्त्री कैसे बनी?

 

दोस्तों जैसा कि सभी को पता है कि भगवान श्री राम के चरणों के स्पर्श से ही एक पत्थर सुंदर स्त्री में बदल गई थी, जिसकी वजह से ही केवट ने भगवान श्री राम को अपने नाव में बैठने से मना किया था। तो अगर बात करें आखिर वह स्त्री कौन थी, तो हम आपको बता दें कि वह पत्थर के रूप में जो स्त्री थी वह अहिल्या देवी थी, जो कि गौतम ऋषि की धर्म पत्नी थी।

 

इंद्रदेव की वजह से गौतम ऋषि ने अहिल्या को यह श्राप दिया था कि वह पत्थर की बन जाएगी, और गुस्सा शांत होने के बाद उन्होंने यह भी कहा था कि त्रेता युग में भगवान राम के स्पर्श करने पर ही तुम्हें इस श्राप से मुक्ति मिलेगी। त्रेता युग में जब भगवान श्री राम के चरण पत्थर पर पड़े, तो अहिल्या को श्राप से मुक्ति मिली, और वह अपने असल रूप में आ गई।

Conclusion

तो यह थी राम जी और केवट की कहानी जहां हमें भगवान राम की महिमा और केवट के भक्ति के बारे में पता चलता है। केवट भले ही एक मामूली इंसान था, लेकिन उसने अपनी भक्ति से भगवान राम की कृपा प्राप्त कर ली थी, तो अगर आपको भी भगवान राम की कृपा चाहिए, तो आपको भी भगवान राम की केवट की तरह भक्ति करनी होगी। और जानने के लिए MyChalisa.com को विजिट करे।